नई दिल्ली/टीम डिजिटल। इतनी बड़ी गलती आखिर हो कैसे सकती है। वह भी लोकतंत्र में, कि चुनाव जीते कोई और राज कर जाए कोई। सुनकर आश्चर्य होता है, लेकिन निर्वाचन जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था को धता बताने वाली यह धोखाधड़ी सच है। गाजियाबाद में नगर निगम का चुनाव जीता मनोज कुमार ने लेकिन घोषणा महेश यादव के नाम की हो गई।
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इसके बाद शपथ भी महेश ने ली और पांच साल तक राज भी किया। पांच साल बाद अचानक मनोज कुमार को पता चला कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर तो पार्षद के रूप में उनका नाम है। इसके बाद आरटीआई के माध्यम से सूचना मांगी गई तो भी यही पता चला कि पार्षद का चुनाव तो मनोज कुमार जीते थे। आखिर फिर क्या हुआ कि मनोज नहीं महेश ने पांच साल तक राज किया?
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प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 के नगर निकाय चुनाव में वार्ड नंबर-13 (अब 23) कैलाश नगर से पार्षद पद पर मनोज कुमार विश्वकर्मा ने चुनाव लड़ा था। वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे। मतगणना के बाद जिला निर्वाचन विभाग ने महेश यादव को विजयी उम्मीदवार घोषित किया था। परिणाम जानने के बाद मनोज कुमार मायूस होकर घर लौट गए थे। इसके बाद पांच साल तक महेश यादव पार्षद बने रहे। कुछ दिन पहले मनोज कुमार ने राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट
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