नई दिल्ली/ब्यूरो। वर्ष 2012 में हुए निकाय चुनावों के परिणामों में हुए गोलमाल का खुलासा सामने आया तो निर्दलीय प्रत्याशी रहे मनोज से हकीकत सही नहीं गई। उनको पता चला कि विजयी प्रत्याशियों की लिस्ट में उनका नाम था, जबकि पार्षद कोई और ही बना रहा, तो वह अवसाद में चले गए।
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बीमार होने के कारण उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। हालांकि मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने लिस्ट में मनोज की जगह पांच साल तक पार्षद रहे महेश का नाम ही डाल दिया, लेकिन मनोज का हाल बुरा है। मनोज कुमार पुत्र जयपाल सिंह की तबियत एकाएक बिगड़ गई।
परिजनों को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। अब भी उनका इलाज चल रहा है। मनोज का आरोप है कि अफसरों ने सपा सरकार के दबाव में जीतने के बावजूद किसी और को शपथ दिला दी और उनको हारा हुआ बता दिया गया। अगर उन्होंने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर विजयी प्रत्याशी के रूप में अपना नाम नहीं देखा होता तो यह राज उनके सामने कभी नहीं आता।
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मनोज के पिता जयपाल सिंह का कहना है कि हकीकत सामने आने के बाद मनोज का मानसिक संतुलन बिगड़ गया। लोगों को आज भी मनोज के हारने पर यकीन नहीं है। जयपाल का कहना है कि मनोज को डाक्टर ने तनाव न लेने की सलाह दी है। वहीं मनोज का कहना है कि न्याय के लिए वे लगातार लड़ाई लडेंगे। उनके और समर्थकों के मान सम्मान को ठेस पहुंची है। अफसरों ने मतदाताओं के साथ छल किया है। जिसके लिए वे जिला प्रशासन और निर्वाचन आयोग पर दावा ठोकेंगे।
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